दस चुनिंदा उर्दू शे’र
आज इक चाँद से मिलना ठहरा
ऐ खुदा! पाओं को पर दे देना।
वफ़ा कर और इतनी कर सिला दुश्वार हो जाए
नहीं तो वो जफ़ा कर हर जफ़ा शहकार हो जाए।
ज़िन्दगी जब तक है रह मसरूफ-ए-कार
क़ब्र में आराम ही आराम है।
अब फ़रिश्ते भी यहां आने से घबराते हैं
ऐ ज़मीं! क़हर-ए-ख़ुदा तुझ पे न नाज़िल हो जाए।
बलाएं सर पै जो आएं वुही मेरी बलाएं लें
इसी अज़्म-ए-मुसम्मम से मुसाफ़त पर निकलता हूं।
इसी पुरपेच रस्ते में बुलंदी के नजारे हैं
मज़ा जीने में क्या रहता जो सीधा रास्ता होता।
जिस ने बरसों मुझे ताज़गी दी
वो था झोंका तिरे हुस्न ही का।
बहुत नज़दीक से चेहरा बख़ूबी कब दिखाई दे
जिसे घर ने न पहचाना, उसे दुनिया ने पहचाना।
शह्र में है तो नाम दरिया है, गाओं में था तो आबशार था नाम
वो जो अब सिर्फ गुनगुनाता है, कभी ऊँचे सुरों में गाता था।
ले के कितने ही टुकड़े सूरज के
रात को आसमान आता है।
दस चुनिंदा हिंदी शे’र
किसी ने भी न पाया भेद मेरा आज तक कुछ भी
कोई क्या भेद पाए मैं कभी शिव हूँ कभी शव हूँ।
इस को खुद मैं ने लगाया कि नज़र ही न लगे
यह जो इक दाग लिए फिरता है दामन मेरा।
भाग्य बुरा था फिर भी मैं ने मेहनत से मंज़िल पाई
मेरी सांस नहीं टूटी थी, भाग्य की रेखा टूटी थी।
माना तेरी डोर है लंबी पर सूरज है दूर बहुत
इक पतंग से उस को छूना तेरी हंसी उड़ाएगा।
कभी है अमृत, कभी जहर है बदल बदल के मैं पी रहा हूँ
मैं अपनी मर्जी से जी रहा हूँ या तेरी मर्जी से जी रहा हूँ।
कोयल के एहसास में तू अब खोज रहा है क्यों संगीत
कोयल केवल कूक रही है कोयल ने कब गाया है।
नाम दाम की इच्छा हर किसी को है प्यारे
लक्ष्य हो जुदा लेकिन राह एक होती है।
उस में जो मेरा दायां था बायां दिखता था
आईना सच्चा हो कर भी कितना झूटा था।
प्रेम तो बरसाती नदिया है दूजे को भी साथ बहाए
और यह तट अपने भी तोड़े इस के ढंग निराले हैं।
गंतव्य उलाहना देता है मैं इतनी देर से क्यों पहुंचा
वह क्या जाने इक पथिक को भी मैं खींच खींच कर लाया हूँ।