खामोशियाँ भी जरूरी हैं (कविता)

खामोशियाँ भी जरूरी हैं


पसरी हुई खामोशी


क्या कुछ नहीं कर गयी


तब कहीं चुपके से तुझे


छूकर आई हवा


मुझे यूँ सहरा गई


कुछ बतला गई


खामोशियाँ भी जरूरी हैं


बहुत कुछ महसूस करने को


कुछ थोड़ा-सा जीने को


जीने को, महसूस करने को......



Popular posts from this blog

अभिशप्त कहानी

हिन्दी का वैश्विक महत्व

भारतीय साहित्य में अन्तर्निहित जीवन-मूल्य